हिंदी में एक कहावत है- जहां चाह है, वहां राह है। आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे जिसकी यात्रा रोलर कोस्टर की तरह रही है। 22 वर्षीय इंजीनियरिंग ग्रेजुएट गणमद्दुला नागा सुमंत की कहानी देश के करोड़ों बच्चों के लिए प्रेरणा है। आर्थिक संकट और तमाम परेशानियों के बावजूद, इन्होंने पहले आईआईटी में पढ़ाई की और अब, प्रतिष्ठित आईआईएम लखनऊ में पढ़ रहे हैं। आज हम इनकी जिंदगी पर रोशनी डालेंगे। इन्होंने 91ट्रक्स को दिए इंटरव्यू में क्या बताया, इस बारे में भी बताएंगे।
सुमंत का शुरुआती जीवन आसान नहीं रहा है। उनके पिता सुब्बरायुडु गणमद्दुला ट्रक ड्राइवर हैं। उनकी मां जी आदि लक्ष्मी केजी स्कूल में टीचर हैं। वो बताते हैं कि परिवार ने शुरुआत से ही आर्थिक तंगी देखी है। पिता की सारी कमाई, किराया और खाने में निकल जाती है। कुछ बचत नहीं होती है। नागा सुमंत हमेशा से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे रहे हैं। उन्होंने प्री-यूनिवर्सिटी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान स्कॉलरशिप हासिल की थी। सुमंत ने IIIT श्रीकाकुलम से बीटेक किया है। बीटेक में उनके 8.8 सीजीपीए मार्क्स थे जबकि 10वीं में 9.8 सीजीपीए और 12वीं में 8.8 सीजीपीए मार्क्स थे।
सुमंत की आईआईएम में दाखिले की यात्रा आईआईटी मद्रास से शुरू हुई। उन्होंने बीटेक के आखिरी साल में आईआईटी मद्रास में डेटा साइंस एवं प्रोग्रामिंग कोर्स में दाखिला लिया। यहां उन्हें कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) का पता चला। इसके बाद उन्होंने खुद को परीक्षा की तैयारी के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने हर दिन 12 घंटे पढ़ाई की और 97 परसेंटाइल स्कोर हासिल किया। बता दें कि आईआईएम लखनऊ EWS कोटा छात्रों को स्कॉलरशिप के माध्यम से वित्तीय सहायता करता है। आइए नज़र डालते हैं, उनसे पूछे गए कुछ सवालों पर-
सवाल- कौन है आदर्श?
जवाब- मैं अक्सर अब्दुल कलाम की पंक्ति को दोहराता हूँ। बड़े सपने देखो। सपने को पूरा करने से पहले सपने को देखना पड़ता है। इसी रास्ते पर मैं चलता हूँ।
सवाल- पिता जी की ज़िंदगी से क्या प्रेरणा मिली?
जवाब- मेरे पिता का जीवन आसान नहीं रहा है। वो घंटों ट्रक चलाते हैं। कई बार उनके पैर भी दर्द करते हैं। उनसे मुझे मेहनत करने की प्रेरणा मिलती है। मैं जब भी अपने पिता को देखता हूँ तो मुझे उनसे दृढ़ता मिलती है।
सवाल- डिजिटल लर्निंग ने किस तरह प्रभावित किया?
जवाब- डिजिटल लर्निंग ने मेरे जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाई है। इसकी मदद से आप बिना पैसों के भी सारे संसाधन पा सकते हैं। कैट की तैयारी के वक्त भी मैंने ऑनलाइन सामग्री का इस्तेमाल किया था। मैंने इसके लिए कोई कोचिंग नहीं ली थी। इसकी मदद से आप कहीं से भी बेस्ट टीचरों को सुन सकते हैं। मेरा ऐसा मानना है कि बहुत से लोग इस चीज़ की शिकायत करते हैं कि पैसे नहीं है इसलिए हमारे पास संसाधन नहीं है। उनको मेरा यही जवाब है कि आज के समय में ऐसा कुछ नहीं है। न जाने कितने संसाधन आज हमारे पास मौजूद हैं।
सवाल- ट्रक इंडस्ट्री में ऐसी क्या चीज़ है जो आपको लगता है कि बदलनी चाहिए? सरकार को कोई मैसेज देना चाहेंगे?
जवाब- ट्रक ड्राइवर्स को क्रेडिट नहीं दिया जाता है। अच्छा वेतन और लोन जैसी सुविधाएं आसानी से मिलनी चाहिए। इसके अलावा सरकार को जॉब सिक्योरिटी और इंश्योरेंस जैसी सुविधाओं का भी ध्यान रखना चाहिए।
आईआईएम लखनऊ से एमबीए के बाद एक अच्छी सी कॉर्पोरेट नौकरी हासिल करके सुमंत अपने घर के हालात बदलना चाहते हैं। आशा करते हैं सुमंत की बातचीत से आपको भी प्रेरणा मिली होगी। 91ट्रक्स की टीम की ओर से सुमंत को शुभकामनाएं!
91trucks is a rapidly growing digital platform that offers the latest updates and comprehensive information about the commercial vehicle industry.