दिल्ली की ई-रिक्शा पहेली: परिवहन जीवनरेखा या यातायात संकट?

Update On: Tue Mar 04 2025 by Tanya Athany
दिल्ली की ई-रिक्शा पहेली: परिवहन जीवनरेखा या यातायात संकट?

ई-रिक्शा—हरित गतिशीलता का प्रतीक—कभी अंतिम मील कनेक्टिविटी के लिए सबसे बेहतर समाधान माने गए थे। दिल्ली में इनका उदय तेज़ी से हुआ, जिससे पारंपरिक परिवहन की खामियों को भरने में मदद मिली। लेकिन आज, जो कभी समाधान था, वह एक ऐसी समस्या बन गया है जिसे शहर के योजनाकार सुलझा नहीं पा रहे हैं। सड़कों पर भीड़ बढ़ गई है, यातायात अनियमित हो गया है, और नियम-कानून वास्तविकता के अनुरूप नहीं चल पा रहे हैं।

अनियंत्रित वृद्धि: एक दोधारी तलवार

दिल्ली की सड़कों पर 1.2 लाख से अधिक पंजीकृत ई-रिक्शा हैं, लेकिन अनाधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि इनकी वास्तविक संख्या लगभग दोगुनी हो सकती है। इनका आकर्षण स्पष्ट है—सस्ते, सुलभ और इलेक्ट्रिक। लेकिन इनकी अनियंत्रित वृद्धि ने सुविधा को अव्यवस्था में बदल दिया है।
हर दिन, ई-रिक्शा मुख्य सड़कों को अवरुद्ध कर देते हैं, यातायात के विपरीत दिशा में चलने से लेकर ज़िगज़ैग अंदाज में दौड़ने तक, जिससे यातायात अव्यवस्थित हो जाता है। मेट्रो स्टेशनों, बाज़ारों और प्रमुख चौराहों पर ये झुंड बनाकर खड़े रहते हैं, जिससे जाम और बढ़ जाता है। 2024 में ही, इन वाहनों से जुड़े 21 मौतें हुईं—जिनमें से 20 का कारण लापरवाह ड्राइविंग था। जो सुविधा जाम को कम करने के लिए लाई गई थी, वही इसे और बढ़ा रही है।

सुरक्षा का प्रश्न—या उसकी कमी

सिर्फ संख्या ही चिंता का विषय नहीं है, बल्कि ये वाहन कैसे चलते हैं, यह भी अहम है। कई ड्राइवर बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। ओवरलोडिंग आम बात है, कुछ ई-रिक्शा में स्कूली बच्चों को बेहद असुरक्षित ढंग से ठूंस दिया जाता है, जिससे हादसों का खतरा बना रहता है।
पूर्व एमसीडी पार्षद कैप्टन खविंदर सिंह ने इस समस्या को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि अपनी रोजी-रोटी कमाने की जद्दोजहद में ये चालक बार-बार नियम तोड़ते हैं, जिससे खुद और यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है। उचित निगरानी के बिना, सड़कों पर चलना एक जुए की तरह हो गया है, जिसमें पैदल यात्री और अन्य वाहन चालक भी फंस जाते हैं।

नियमों का उल्लंघन: कानून जो कोई नहीं मानता

कागजों में नियम तो हैं। दिल्ली परिवहन विभाग ने 236 जगहों को चिन्हित किया है, जहां ई-रिक्शा का संचालन और पार्किंग प्रतिबंधित है। लेकिन वास्तविकता कुछ और ही कहती है। ये इलाके अब भी जाम से भरे रहते हैं। सस्ते पुर्जों से बनी और बिना पंजीकरण वाली अवैध ई-रिक्शाएं अनियंत्रित रूप से सड़कों पर दौड़ रही हैं।
कई बार कार्रवाई की गई, लेकिन प्रभावी रूप से इसे लागू करना कठिन साबित हुआ है। कोई केंद्रीकृत ढांचा न होने के कारण नियमों का उल्लंघन जारी रहता है। जहां कानून अस्पष्ट होते हैं, वहां नियम तोड़ने की प्रवृत्ति और बढ़ जाती है। अधिकारी प्रयास कर रहे हैं, लेकिन समस्या समाधान से कहीं तेज़ी से बढ़ रही है।

शहरी संकट: जहां ई-रिक्शा एक बुरा सपना बन जाते हैं

किसी भी मेट्रो स्टेशन के बाहर खड़े होकर देखिए, समस्या आपको खुद दिख जाएगी। एक झुंड की तरह ई-रिक्शा स्टेशन के बाहर खड़े रहते हैं, रास्ता रोकते हैं, फुटपाथों पर कब्जा कर लेते हैं। यात्री शोर-शराबे और हॉर्न के बीच हड़बड़ी में चढ़ते-उतरते रहते हैं।
पूर्वी दिल्ली निवासी बी.एस. वोहरा इसे “हर दिन की जंग” बताते हैं। ई-रिक्शा फुटपाथों पर जगह घेर लेते हैं, जिससे लोगों को सड़कों पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। सार्वजनिक परिवहन का पूरक बनने के बजाय, ये वाहन प्रमुख ट्रांजिट पॉइंट्स पर गतिरोध पैदा कर रहे हैं, जिससे आवागमन कठिन हो गया है।

क्या इस पहेली का समाधान संभव है?

Delhi’s E-Rickshaw Puzzle: A Transport Lifeline or a Traffic Menace?

दिल्ली को ई-रिक्शाओं की ज़रूरत है, यह तय है। लेकिन अगर त्वरित हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो वे सुविधा के बजाय संकट बने रहेंगे। क्या किया जा सकता है?

  • सख्त नियम और सख्त प्रवर्तन – अवैध ई-रिक्शाओं पर कड़ी कार्रवाई की जाए और नियम तोड़ने वालों पर सख्त जुर्माना लगाया जाए। बिना इस कदम के व्यवस्था बहाल करना मुश्किल होगा।
  • चालक प्रशिक्षण और लाइसेंसिंग – ड्राइवरों के लिए एक संगठित प्रशिक्षण कार्यक्रम अनिवार्य किया जाए, जिससे वे यातायात नियमों और सुरक्षा उपायों को समझ सकें।
  • निर्धारित पार्किंग और पिक-अप ज़ोन – मेट्रो स्टेशनों और बाज़ारों के पास विशेष ज़ोन तय किए जाएं, जहां ई-रिक्शा संचालित हो सकें, ताकि अव्यवस्था कम हो।
  • जन-जागरूकता अभियान – यात्रियों और चालकों दोनों को जिम्मेदार यात्रा के बारे में शिक्षित करने के लिए अभियान चलाए जाएं, जिससे एक उत्तरदायी परिवहन संस्कृति विकसित हो सके।

दिल्ली एक नाजुक मोड़ पर खड़ी है। क्या वह ई-रिक्शाओं को नियमविहीन ताकत बनने देगी, या फिर इन्हें सुव्यवस्थित सुधारों के साथ नियंत्रित करेगी? शहर की भविष्य की गतिशीलता इस सवाल के जवाब पर निर्भर करती है।

91trucks के साथ जुड़े रहें और नवीनतम लॉन्च, वाणिज्यिक वाहनों और उद्योग से संबंधित सभी अपडेट प्राप्त करें। 91trucks वाणिज्यिक वाहन उद्योग की नवीनतम जानकारी प्रदान करने वाला सबसे तेजी से बढ़ता डिजिटल प्लेटफॉर्म है।

नवीनतम Three Wheeler समाचार

सभी Three Wheeler समाचार देखें

नवीनतम समाचार

91trucks

91trucks एक तेजी से बढ़ता डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो वाणिज्यिक वाहन उद्योग से संबंधित नवीनतम अपडेट और जानकारी प्रदान करता है।

उपयोगी लिंक

हमारी साझेदार वेबसाइट

91tractors.com
91infra.com
हम से जुड़ें