दुनिया के साथ-साथ अब भारत भी इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ़ बढ़ रहा है। चाहे वो प्राइवेट गाड़ी हो या कमर्शियल, हर तरफ़ ईवी गाड़ियों का जलवा है। कमर्शियल सेक्टर में लगभग हर बड़ी कंपनी इलेक्ट्रिक लाइट कमर्शियल वाहन (एलसीवी) निकाल रही है। ये सभी गाड़ियां भारत की सड़कों, मौसम व ड्राइवर के अनुसार बनाई जा रही हैं। लेकिन अक्सर ये सवाल उठता रहता है कि ईवी गाड़ी जब बन जाती है तो उसकी टेस्टिंग कैसे होती है? आख़िर किसी गाड़ी को पास करने के लिए क्या पैमाने हैं?
इसी चीज़ को समझने के लिए 91ट्रक्स की टीम ने चेन्नई का रुख़ किया। आप लोगों ने अशोक लेलैंड का नाम तो सुना ही होगा। अशोक लेलैंड कंपनी हिंदुजा ग्रुप की है। यही ग्रुप स्विच मोबिलिटी के नाम से कंपनी चलाता है जो इलेक्ट्रिक वाहन बनाती है। 91ट्रक्स की टीम ने चेन्नई में स्थित अशोक लेलैंड की फैसेलिटी का दौरा किया। इसका कैंपस काफ़ी बड़ा है। छोटी गाड़ी हो या इलेक्ट्रिक बस, ट्रक हो या अशोक लेलैंड का बड़ा दोस्त, हर चीज़ यहां मौजूद है।
हमारी टीम स्विच मोबिलिटी के ऑफ़िस पहुंची जहां IeV सीरीज़ के वाहनों को प्रदर्शित किया गया था। स्विच मोबिलिटी ने IeV सीरीज़ में दो वाहन हाल ही में लॉन्च किए हैं। इसमें IeV3 और IeV4 शामिल है। इन दोनों ही वाहनों को चलाने का हमें मौका मिला। मीडियाकर्मियों के लिए मीडिया ड्राइव नामक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। हमारी टीम ने IeV3 और IeV4, दोनों वाहनों को चलाया। हमने इन वाहनों को अलग-अलग परिस्थितियों में चलाकर देखा। इसमें तीन तरह की परिस्थितियां थीं। पहली थी- ग्रेडेबिलिटी। इसका मतलब पहाड़ पर ये गाड़ी कैसे चलेगी! दूसरा था- स्टीयरिंग टेस्ट जिसमें हमने जाना कि गाड़ी को मुड़ने में कितनी देर और कितनी जगह चाहिए। तीसरा और आखिरी टेस्ट था- स्पीड टेस्ट। इसके बाद हमने दोनों ही गाड़ियों का रिव्यू भी किया जिसका वीडियो जल्द ही हमारे यूट्यूब चैनल पर आएगा। कोई भी जानकारी छूट न जाए इसलिए हमारे चैनल को आज ही सब्सक्राइब करें।
पहाड़ पर चढ़ने की बात करें तो दोनों गाड़ियों में हिल होल्ड असिस्ट फ़ीचर आता है। बेहद आसानी से दोनों गाड़ियां, पहाड़नुमा रोड पर चढ़ गईं। स्टेयरिंग टेस्ट में हमने गाड़ी को अलग-अलग स्पीड में मोड़ा और टर्निंग रेडियस को आज़मा कर देखा। स्पीड टेस्ट में हमने गाड़ी को मौत के कुएं जैसे आकार के रेस ट्रैक पर चलाकर देखा। आसानी से इन गाड़ियों ने सभी बाधाओं को पार किया।
हमारे संवाददाता के साथ हुई बातचीत में स्विच मोबिलिटी के सीईओ महेश बाबू ने कहा कि मिड और लास्ट माइल मोबिलिटी एक नए दौर से गुज़र रही है। उनका मानना है कि कमर्शियल सेक्टर में इलेक्ट्रिक वाहनों की ज़्यादा आवश्यक्ता है। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ प्रदूषण कम होगा बल्कि ज़्यादा वाहन चलाकर लोग ज़्यादा पैसे कमा पाएंगे।
IeV वाहनों पर उन्होंने कहा कि ये भारत के लोगों के अनुसार बनाए गए हैं। लोगों को इसमें कई फ़ीचर मिलेंगे। जैसे- आराम, आसान ड्राइविंग और आधुनिक टेक्नोलॉजी। आगे बातचीत में उन्होंने ये भी बताया कि लोगों को ये वाहन पसंद आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगले 10 साल में ईवी इंडस्ट्री पूरी तरह बदलने वाली है।
इसपर उनका मानना है कि भारत के लोग बहुत ही सहजता से किसी भी चीज़ को अपना लेते हैं। उन्होंने बताया कि कंपनी लोगों को 9 हज़ार किलोमीटर की टेस्ट ड्राइव दे रही है। इससे लोगों का आत्मविश्वास बढ़ता है। उन्होंने बताया कि सरकार का साथ, बाज़ार में नए मॉडल की उपलब्धता और लोग अगर अच्छे से इसे अपनाएं तो कुछ भी संभव है।
एक वाहन कई टेस्ट से गुज़रता है। इसके बाद ही वो रोड पर हमें दिखता है। हमारी टीम ने तो बस तीन टेस्ट ही करके देखे। स्विच मोबिलिटी जैसी कंपनियां भारतीय बाज़ार को बदल रही हैं। अब देखना होगा कि IeV सीरीज़ को लोगों का कितना प्यार मिलता है और ये अपने दावों पर कितना खरा उतरती है!
Latest Truck News
View all Truck News