किसी ने बड़ा सही कहा है कि ड्राइविंग बड़ी ही थैंकलेस जॉब है। फिर अगर वो ट्रक ड्राइवर हो तो स्थिति और गंभीर हो जाती है। बाहर एसी में बैठकर चल रहे लोगों को बिलकुल अंदाज़ा नहीं होता कि ट्रक ड्राइवर की मनोदशा क्या होती है? लोगों को शायद पता नहीं है कि ड्राइवर के ठीक नीचे उबलता हुआ इंजन होता है जिससे बिना एसी वाले ट्रक को चलाना और मुश्किल हो जाता है। भारत में ट्रक ड्राइवर की समस्याएं बहुत हैं। लेकिन लोग इनको अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। आइए बहुत गंभीरता से इन मुद्दों को समझते हैं-
इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि पैसा ज़िंदगी में बहुत ज़रूरी है। और जो लोग कहते हैं कि पैसे का कोई महत्व नहीं है तो ऐसे लोगों से दूर ही रहिए। भारत में एक ट्रक ड्राइवर की कमाई 30 से 40 हज़ार रुपए से ज़्यादा नहीं होती। कई राज्यों में तो ये घटकर 20 हज़ार रुपए तक रह जाती है। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि ट्रक ड्राइवर घर से दूर ही रहते हैं और बाहर का खाना ही खाते हैं। इसी वजह से खाने का खर्चा भी बढ़ जाता है।
गड्ढों से भरी सड़कें, अपर्याप्त संकेत और विश्राम स्थलों का न होना समस्याएं बढ़ाता है। विभिन्न इलाकों से होकर गुजरना एक बहुत ही कठिन काम बन जाता है जिससे वाहनों में टूट-फूट बढ़ जाती है और चालक अधिक थक जाते हैं। इन चालकों के लिए सुरक्षित और अधिक कुशल यात्रा सुनिश्चित करने के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा नियोजन और रखरखाव महत्वपूर्ण है। चोरी, तोड़फोड़ और उत्पीड़न की घटनाएं कार्गो और कर्मियों, दोनों के लिए गंभीर खतरे पैदा करती हैं।
ये बहुत गंभीर बात है लेकिन सच है कि आजकल के ज़माने में ट्रक ड्राइवरों में एड्स का खतरा बढ़ रहा है। बहुत सी बार ऐसा होता है कि ट्रक ड्राइवर महीनों घर से बाहर रहते है। कई लोगों की नई शादी हुई होती है लेकिन काम की वजह से जाना पड़ जाता है। यौन ज़रूरतें मिटाने के लिए अक्सर ट्रक ड्राइवर वेश्या के पास जाते हैं। इससे एसटीडी व एड्स का खतरा बना रहता है। इसके अलावा भारत में ट्रक चलाने वाले 50 फीसदी से अधिक ड्राइवर आंखों की नज़र की समस्या से जूझ रहे हैं। हाल ही में नोएडा स्थित अस्पताल ICARE आई हॉस्पिटल ने साइटसेवर्स इंडिया की मदद से 34 हजार ट्रक ड्राइवरों का परीक्षण किया। इसमें 38 प्रतिशत ड्राइवरों को नज़दीकी तौर पर देखने में समस्या पाई गई। वहीं 8 प्रतिशत ड्राइवरों की दूर की नज़र खराब थी। इसके अलावा 4 प्रतिशत को पास और दूर, दोनों में समस्या थी। ट्रक ड्राइवरों में बवासीर की समस्या भी आम है। ट्रक ड्राइवरों में बवासीर होने की संभावना कम फ़ाइबर वाले आहार और अनियमित बाथरूम ब्रेक के कारण होती है।
बहुत से लोग ये मानते हैं कि ट्रक ड्राइवर जानबूझकर ट्रक को ओवरलोड करते हैं। इससे उनका मुनाफ़ा बढ़ जाएगा। लेकिन हकीकत नज़रों से बहुत दूर है। ज़्यादातर ट्रक ड्राइवर किसी के पास वर्कर ही हैं। उन्हें आदेशों का पालन करना ही होता है। अब यदि फ्लीट मालिक ट्रक ड्राइवर से सामान से भरे ओवरलोड ट्रक को ट्रांसपोर्ट करने के लिए कहता है तो इसमें ड्राइवर ज़्यादा कुछ नहीं कर सकता। जिनके पास खुद के ट्रक्स हैं वह अपने आप को ऐसी स्थिति में पाते हैं जहां जो एजेंसी उनको हायर कर रही है, वह चाहती है कि आप पूरा लोड एक ही चक्कर में पहुंचा दें।ओवरलोडिंग की समस्याबहुत से लोग ये मानते हैं कि ट्रक ड्राइवर जानबूझकर ट्रक को ओवरलोड करते हैं। इससे उनका मुनाफ़ा बढ़ जाएगा। लेकिन हकीकत नज़रों से बहुत दूर है। ज़्यादातर ट्रक ड्राइवर किसी के पास वर्कर ही हैं। उन्हें आदेशों का पालन करना ही होता है। अब यदि फ्लीट मालिक ट्रक ड्राइवर से सामान से भरे ओवरलोड ट्रक को ट्रांसपोर्ट करने के लिए कहता है तो इसमें ड्राइवर ज़्यादा कुछ नहीं कर सकता। जिनके पास खुद के ट्रक्स हैं वह अपने आप को ऐसी स्थिति में पाते हैं जहां जो एजेंसी उनको हायर कर रही है, वह चाहती है कि आप पूरा लोड एक ही चक्कर में पहुंचा दें।
ट्रक ड्राइवर का वेतन या तो महीने के हिसाब से या यात्रा के हिसाब से तय होता है। क्या ट्रक ड्राइवरों को उनका पूरा वेतन मिलता है? नहीं! क्यों? ट्रक ड्राइवरों को सड़क पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जब भुगतान की बात आती है तो भी यही होता है। ट्रांसपोर्टर ड्राइवर की हर चुनौतीपूर्ण यात्रा में कुछ पैसे का हिसाब रखते हैं।
कभी किसी दुर्घटना से माल या वाहन क्षतिग्रस्त हो जाता है, राजमार्गों पर ओवरस्पीडिंग या लेन बदलने के लिए कोई भी पुलिस चालान, बार-बार टायर पंचर होना, ईंधन कटौती और ईंधन चोरी या देरी से माल डिलीवर करना, ऐसी कई चीज़ों का सामना ट्रक ड्राइवर को करना पड़ता है।
यक़ीनन ट्रक ड्राइवर होना आसान नहीं है। आशा करते हैं कि इस लेख से आप बहुत कुछ समझे होंगे। अगली बार से आप एक ट्रक ड्राइवर के प्रति सभ्य और आदरपूर्ण रहेंगे।
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