'तेरी मिट्टी में मिल जावा..' ऐसे न जाने कितने गाने आए और अपने साथ मिट्टी शब्द लेकर आए। मिट्टी भारतीयों के बीच एकता का प्रतीक है जिसमें संवादों का चित्रण यह दावा करता है कि 'मिट्टी की रक्षा करना' हर भारतीय का कर्तव्य है। एक किसान के लिए मिट्टी, उसकी कर्मभूमि है। एक किसान की सबसे ज़रूरी पूंजी है, उसके खेत की मिट्टी। एक किसान के तौर पर, सबसे मूल्यवान संसाधनों में से एक खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य है। उच्च गुणवत्ता वाली फसलें पैदा करने के लिए स्वस्थ मिट्टी आवश्यक है। दुनिया में हमने इतने रसायन घोल दिए हैं कि खेत बंजर हो रहे हैं। फसलें बर्बाद हो रही हैं। क्या आप मिट्टी की उर्वरक क्षमता को सुधारने और बढ़ाने के लिए कोई कदम उठा रहे हैं? अगर नहीं तो ये लेख आपके लिए ही है।
मिट्टी की जांच अवश्य करवाएं। कितने सुधार की आवश्यक्ता है? मिट्टी की जांच के बाद ही पता चलेगा कि उर्वरकों का कितना उपयोग किया जाना है। इसके लिए किसान अपने नजदीकी कृषि सलाहकार या फसल विशेषज्ञ से संपर्क करें और मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार उनसे सही सुझाव लें।
एक गड्ढा खोदें। उसमें देखें कि केंचुए हैं या नहीं। अगर नहीं हैं तो आपकी मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम है। मिट्टी का रंग भी ध्यान से देखें। अच्छी उर्वरक क्षमता वाली मिट्टी की महक अलग होती है। जब बारिश पड़ती है तो इसकी खुशबू हर जगह फैल जाती है।
यह वह पदार्थ है जो विघटित हो जाता है और मिट्टी के सूक्ष्मजीवों द्वारा उपयोग किया जाता है। औसतन, कृषि भूमि में कार्बनिक पदार्थ बहुत कम होता है जो 1 से 2 प्रतिशत तक होता है। हालांकि, मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ का आदर्श स्तर न्यूनतम 5 प्रतिशत है।
मिट्टी में पोषक तत्व जोड़ने के साथ-साथ आप कवर फसलों का उपयोग करके खेत की सुरक्षा भी कर सकते हैं। कई कवर फसलों में फलियां, तिपतिया घास और अनाज राई शामिल हैं। फलियां एक बढ़िया विकल्प हैं क्योंकि वे मिट्टी में नाइट्रोजन जोड़ने में मदद करती हैं। अनाज राई एक और बढ़िया विकल्प है क्योंकि यह तेज़ी से बढ़ता है और कार्बन का भी एक अच्छा स्रोत है जो मिट्टी की संरचना में सुधार के लिए बहुत अच्छा है।
जब आप कवर फसलों का उपयोग करते हैं तो आप मिट्टी को कटाव, पानी की कमी और पोषक तत्वों की हानि से भी बचाते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. एमएस चांदवत बतातें हैं कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए किसान हरी खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। वह आगे कहते हैं कि भूमि में लगातार फसल चक्र से वह आवश्यक तत्व नष्ट हो जाते हैं जो बढ़वार और पैदावार के लिए ज़रूरी है।
अगर आप नदी के किनारे फसल उगा रहे हैं तो आपको बाढ़ सिंचाई का इस्तेमाल करना चाहिए। वरना आप स्प्रिंकलर या ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल कर सकते हैं। सिंचाई का प्रकार चुनते समय सबसे महत्वपूर्ण बात मिट्टी का प्रकार है। अलग-अलग मिट्टी के प्रकारों के लिए अलग-अलग सिंचाई विधियों की आवश्यकता होगी। अपनी मिट्टी को पानी देते समय, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह ठीक से नम हो लेकिन पानी से भरी न हो।
ये शब्द हम दिल्ली की सर्दियों में सुनते हैं। लेकिन सही जागरूकता न होने के कारण बार बार किसान भाई पराली जलाते हैं। इससे न सिर्फ प्रदूषण होता है बल्कि खेत को भी नुकसान पहुंचता है। इसकी जगह आप फसल अवशेषों को खेत में ही दबा दें। इससे वह सड़ कर खाद बन जाएगी और मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ेगी।
वर्मी कम्पोस्ट का खेतों में इस्तेमाल करने से मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ जाती है। इससे मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ने लगती है। नतीजतन, खेत में नमी अधिक दिनों तक बनी रहती है।
टी 20 विश्व कप जीतने के बाद भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने पिच की मिट्टी चखी थी। पीएम मोदी ने उनसे इसके स्वाद के बारे में भी पूछा था। इसी तरह किसान के लिए मिट्टी और मिट्टी के लिए किसान, दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं। अगर किसान भाई इसे ठीक से पोषित और प्रबंधित नहीं करेंगे तो यह खत्म हो सकती है और खतरनाक मौसम की स्थिति के लिए अधिक प्रभावित हो सकती है। मिट्टी के स्वास्थ्य को समझना बहुत महत्वपूर्ण है और उसे बनाए रखने के लिए सही देखभाल आवश्यक है। इससे मिट्टी को समय के साथ क्षीण होने से बचाया जा सकता है।
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